Mars Missions of World: इसरो का मंगलयान तो खत्म पर मंगल पर अभी किन देशों के मिशन कर रहे हैं काम?

पहला मंगल मिशन सोवियत संघ ने भेजा था. करीब 62 साल पहले. पहले सफल मंगल मिशन का तमगा मिला अमेरिका को. लेकिन पहली बार में नहीं. दुनियी में सिर्फ एक ही देश है जिसने यह कमाल किया है. वो है अपना भारत. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मंगलयान यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) ने एक ही बार में मंगल ग्रह पर पहुंचकर रिकॉर्ड बना दिया. दुनिया भौचक्की रह गई. आंखें फाड़-फाड़ कर लोग इसरो की तरह देखने लगे.1960 में सोवियत संघ ने मंगल ग्रह पर मिशन (Mars Mission) भेजने की शुरुआत की थी. असफलताएं मिलती जा रही थीं. उधर अमेरिका भी मंगल ग्रह पर मिशन भेज रहा था. कई बार फेल होने के बाद अमेरिका ने पहली बार मंगल पर मिशन पहुंचाकर सफलता हासिल की. ऐसे कई देश हैं जो पहली बार में मंगल ग्रह तक नहीं पहुंच पाए. लॉन्च के समय,इसरोकामंगलयानतोखत्मपरमंगलपरअभीकिनदेशोंकेमिशनकररहेहैंकाम आधे रास्ते में या पहुंचने से ठीक पहले मिशन फेल हो गए. लापता हो गए.अब 1960 से अब तक 62 साल हो चुके हैं. करीब 59 मिशन भेजे गए हैं लाल ग्रह पर. कुछ ऑर्बिटर यानी ग्रह का चक्कर लगाने वाले. फ्लाई बाय यानी पास से गुजर जाने वाले. लैंडर यानी एक ही जगह उतरने वाले और रोवर यानी सतह पर चक्कर लगाने वाले रोबोटिक मिशन.दुनिया में अमेरिका इकलौता ऐसे देश है, जिसने मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा मिशन भेजे हैं. अमेरिका ने मंगल ग्रह पर पिछले 62 सालों में 30 मिशन भेजे हैं. इसके बाद सोवियत संघ/रूस का स्थान आता है. उसने 22 भेजे हैं. वहीं, यूरोपियन संघ ने चार मिशन भेजे हैं. भारत, जापान और UAE ने अपने-अपने एक-एक मिशन लाल ग्रह पर भेजे हैं. यानी मंगल ग्रह पर अब तक कुल आठ देशों ने अपने मार्स मिशन (Mars Mission) को रवाना किया है.मंगल पर भेजे गए कुल 59 मिशन में से 39.36 प्रतिशत मिशन फेल हो गए थे. यानी 23 करीब. 53.44 प्रतिशत यानी 32 मिशन सफल हुए. 3 मिशन सफलता के करीब पहुंच कर फेल हो गए. जो मिशन फेल हुए थे, उनमें से 10 तो लॉन्च होते ही फेल हो गए. 13 अंतरिक्षयान रास्ते में फेल हुए. 23 सफल मिशनों में से इस समय सिर्फ 9 ही काम कर रहे हैं.मार्स पर इस समय 13 लैंडर काम कर रहे हैं. जबकि, दो रोवर खोजबीन के लिए घूमते रहते हैं. ये हैं अमेरिका के क्यूरियोसिटी और पर्सिवरेंस रोवर. क्यूरियोसिटी तो 2012 से अब तक काम कर रहा है. लेकिन अब उसके जीवनकाल के खत्म होने के आसार दिख रहे हैं. क्योंकि अब वो चल-फिर नहीं पा रहा है. उसके पहिये टूट रहे हैं. नासा के वैज्ञानिकों को आशंका है कि वह बहुत जल्दी चलना-फिरना बंद कर देगा. अगले साल इसके अलावा 2023 में मंगल ग्रह पर रोसेलिंड फ्रैंकलिन रोवर लैंड कराया जाएगा.1. 1960 से लेकर 1962 तक किसी भी देश ने मार्स की सतह पर लैंडर या रोवर उतारने की नहीं सोची थी. सोवियत संघ ने सोचा कि वह सबसे पहले लैंडर उतारकर दुनिया में धाक जमाएगा पर फेल हो गया.2. फ्लाईबाय मिशन की पहली सफलता अमेरिका को 28 नवंबर 1964 में मिली थी.3. 19 मई 1971 को सोवियत संघ को मंगल ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले ऑर्बिटर मिशन की पहली सफलता मिली. इसी साल 28 मई को सोवियत संघ रोवर उतारने में फेल हो गया. लेकिन लैंडर सफल रहा.4. अमेरिका का पहला ऑर्बिटर 30 मई 1971 में सफल हुआ. अमेरिका को लैंडर उतारने की सफलता 20 अगस्त 1975 में मिली.5. 4 दिसंबर 1996 को अमेरिका ने सबसे पहले मंगल ग्रह पर रोवर उतारा. इसका नाम था सोजर्नर. दूसरा रोवर इतारा स्पिरिट, तीसरा ऑर्प्यूनिटी, फिर क्यूरियोसिटी और सबसे लेटेस्ट पर्सिवरेंस रोवर.6. साल 2013 में भारत ने मंगलयान (Mangalyaan) लॉन्च किया. 2014 में मंगलयान पहली बार में ही मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंच गया. भारत ने इतिहास बना दिया. इससे पहले किसी भी देश को पहली बार में ये सफलता नहीं मिली थी.1. 1960 के दशक में 122. 1970 के दशक में 113. 1980 के दशक में 024. 1990 के दशक में 075. 2000 के दशक में 086. 2010 के दशक में 067. 2020 के दशक में अब तक 04 मिशन.यूरोपियन यूनियन और रूस को 2022 में एक्सोमार्स (ExoMars 2022) नाम का लैंडर-रोवर भेजना था. लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने की वजह से यह मिशन टल गया है. इसी साल जापान एक ऑर्बिटर-लैंडर मार्स टेराहर्टज माइक्रोसैटेलाइट (Mars Terahertz Microsatellite) भेजने की तैयारी में है. 2023 में US भेजेगा फ्लाई बाई मिशन साइकी (Psyche). भारत के मंगलयान-2 मिशन की फिलहाल कोई चर्चा नहीं है. लेकिन संभावित है. इसके बाद जापान मार्शियन मून्स एक्सप्लोरेशन (Martian Moons Exploration) भेजेगा. यह एक ऑर्बिटर होगा. 2025 में यूरोपियन यूनियन का ज्यूपिटर आइसी मून्स एक्सप्लोरर (Jupiter Icy Moons Explorer) अपने रास्ते में मंगल ग्रह के बगल से तस्वीरें लेते हुए जाएगा.
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