क्या कंपनी ने पूछा है PF से जुड़ा ये सवाल, जानें-आपको क्या करना है?
मई महीने का आखिरी सप्ताह चल रहा है. इस महीने की सैलरी अधिकतर कंपनियों में शनिवार यानी 30 तारीख तक आने की उम्मीद है. इससे पहले,क्याकंपनीनेपूछाहैPFसेजुड़ायेसवालजानेंआपकोक्याकरनाहै कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को एक जरूरी ईमेल भेज रही हैं. ये ईमेल आपकी भविष्य निधि सहयोग यानी पीएफ कंट्रीब्यूशन से जुड़ा हुआ है. इस मेल को लेकर लोग कन्फ्यूजन की स्थिति में हैं. दरअसल, ईमेल में कंपनियां पीएफ कंट्रीब्यूशन कम करने या पहले की तरह बनाए रखने के लिए सवाल पूछ रही हैं. अगर आप अपना पीएफ कंट्रीब्यूशन कम करना चाहते हैं तो इस संबंध में कंपनी को सूचित करना होगा. ये नियम सिर्फ मई, जून और जुलाई के पीएफ कंट्रीब्यूशन के लिए लागू होगा. ये कंपनी या कर्मचारी के लिए अनिवार्य नियम नहीं है. अगर आप पहले की तरह पीएफ को कटते रहने देना चाहते हैं तो आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है. दरअसल, कोरोना संकट की वजह से सरकार ने पीएफ से जुड़े नियम में बदलाव किया है. इस बदलाव का मकसद ये है कि ईपीएफओ से जुड़े कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा से ज्यादा नकदी पहुंचे. सरकार का कहना है कि इस फैसले से कर्मचारियों और नियोक्ता को कुल 6,750 करोड़ रुपये की नकदी मिलेगी. इस नए नियम के लागू होने की वजह से कंपनियां अचानक अपने कर्मचारियों को ईमेल कर रही हैं. नए नियम के तहत कहा गया है कि PF योगदान को 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया जाए ताकि कर्मचारियों की टेक होम सैलरी 2 फीसदी तक बढ़ जाए. इसका मतलब ये हुआ कि अगर आप PF योगदान को कम कराते हैं तो मई , जून और जुलाई में आपकी सैलरी बढ़ कर आएगी.यहां समझना होगा कि सरकार की ओर से कोई अतिरिक्त मदद नहीं दी जा रही है.आपके पैसे को ही पीएफ खाते में रखने के बजाए दूसरे तरीके से आपको नकद दिया जा रहा है.अगर आप चाहते हैं कि मई, जनू और जुलाई में आपके बैंक अकाउंट में ज्यादा सैलरी आए तो आप पीएफ कंट्रीब्यूशन कम करने के विकल्प को चुन सकते हैं. आपके इस फैसले से सैलरी में इजाफा होगा और कोरोना संकट काल में जेब में अधिक पैसे बचेंगे. लेकिन नुकसान की तरफ देखें तो ये आपकी बचत पर झटका है. मतलब ये कि आप भविष्य सिक्योर करने के लिए जो रकम पीएफ के तौर पर जमा कर रहे थे, वो तीन महीने तक के लिए कम हो गया है. जाहिर सी बात है कि पीएफ की रकम कम होने पर सरकार की ओर से ब्याज के तौर पर मिलने वाला मुनाफा भी कम हो जाएगा. इसके अलावा आप टैक्स के झमेले में पड़ सकते हैं. दरअसल, पीएफ कंट्रीब्यूशन कम होने की स्थिति में आपकी टेक होम सैलरी बढ़ेगी. ऐसे में ये संभव है कि जिनकी कमाई कल तक इनकम टैक्स स्लैब के दायरे में नहीं आ रही थी, वो अब आने लगे. इसके अलावा जो लोग कल तक न्यूनतम टैक्स स्लैब में आते थे उनके लिए भी मुसीबत बन सकती है. यहां बता दें कि ईपीएफ कंट्रीब्यूशन पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है. यही वजह है कि कई लोग टैक्स सेविंग के लिए पीएफ कंट्रीब्यूशन को बढ़ा देते हैं.अगर आपने कंट्रीब्यूशन कम नहीं किया तो पहले की तरह पीएफ की रकम आती रहेगी. आपको बता दें कि किसी भी कर्मचारी के मूल वेतन का 12 प्रतिशत योगदान कर्मचारी करता है, और इतना ही अंशदान नियोक्ता या कंपनी की ओर से भी पीएफ में किया जाता है. यहां यह भी स्पष्ट कर दें कि किसी भी कंपनी या नियोक्ता के हिस्से के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी या 1250 रुपये, जो भी कम हो, का योगदान कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में होता है. जबकि, शेष 3.67 फीसदी रकम का योगदान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में होता है. इसके उलट, कर्मचारी के हिस्से का पूरा 12 फीसदी ईपीएफ यानी आपके पीएफ फंड में जाता है.
本文地址:https://www.selvaexpress.in/html/852d599050.html
版权声明
本文仅代表作者观点,不代表本站立场。
本文系作者授权发表,未经许可,不得转载。